नहीं मारो मुझे अपने गर्भ में माँ ... ...
आज मुझे जी लेने दो,
कल मैं एक नन्ही छाँव बनकर आपको ख़ुशियाँ दूँगी ... ...
आप पर कभी बोझ नहीं बनूँगी ... ...
बस आज मुझे जन्म ले लेने दो माँ ... ...
कल आपके जीवन में,
मैं बहुत सी ख़ुशियाँ भर दूँगी ... ...
इस संसार में मुझे आने से मत रोको,
क्या आप मुझे घर, परिवार,
समाज के डर से मार रही हैं?
क्योंकि मैं एक लड़की हूँ ... ...
आप तो चाहती हैं न माँ, मैं जन्म लूँ ... ...
तो बस आप समाज या परिवार की परवाह मत करो ... ...
क्या आप इतनी निष्ठुर हो सकती हैं ... ...
अपने ही अस्तित्व को गर्भ में ही मिटा देंगी ... ...
सिर्फ़ परिवार, समाज के डर से ... ...
नहीं माँ, नहीं ... ...
मैं आपके आँगन में ख़ुशियों के फूल खिला दूँगी ... ...
मैं एक नन्ही छाँव, मुझे इस संसार में आने दो माँ ... ...
Posted by purnima
Jeevan Ki Ek Kala *Umang*
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